विभिन्न प्रकार की विद्या को प्राप्त करने के लिए सरस्वती माता की आराधना की जाती है, क्योंकि सरस्वती माँ सभी विद्याओं की देवी है व ज्ञान का भंडार है। इसलिए सरस्वती माता की आरती के माध्यम से माता के भक्त माँ की असीम कृपात प्राप्त कर सकते है। परंतु भक्ति सच्चे मन से करनी चाहिए तभी सार्थक होती है।
ओम जय सरस्वती माता; मैया जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी; त्रिभुवन विख्याता॥ जय जय सरस्वती माता।
चंद्रवदनि पद्मासिनी; ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी; अतुल तेजधारी ॥
बाएं कर में वीणा; दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणी सोहें; गल मोतियन माला ॥
देवी शरण जो आए; उनका उद्धार किया।
बैठी मंथरा दासी; रावण संहार किया ॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनी; ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान की निरखा; जग से नाश करो ॥
धूप, दीप, फल; मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता; जग निस्तार करो ॥
मां सरस्वती की आरती; जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी; ज्ञान भक्ती पावें ॥
जय सरस्वती माता; मैया जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी; त्रिभुवन विख्याता॥ जय जय सरस्वती माता।
ओम जय सरस्वती माता; जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी; त्रिभुवन विख्याता॥
सरस्वती माता का स्वरूप कैसा है
सरस्वती माँ सदगुण स्वरूप व परम वैभव शाली होने से तीनो भवनों में विख्यात है, अर्थात इनका वैभव तीनो लोको में फैला हुआ है। इनकी सवारी हंस तथा तेज अतुल्य है। सरस्वती माता के बाएं हाथ में वीणा तथा दाएं हाथ में माला व सिर पर स्थित मुकुट में मणि धारण किये हुए है।
सरस्वती माता आरती के लाभ व फायदे
सरस्तवती माता ज्ञान की देवी है। जो कोई माता की आराधना करता है, माता उसके अज्ञान एवं आत्मा के अंधकार को नष्ट करने में सहायता करती है। सरस्वती माँ धूप, दीपक, फल व मेवा को स्वीकार करने वाली तथा मनुष्यों को दिव्य ज्ञान चक्षु प्रदान करने वाली है। जो कोई भक्त माता की आरती करता है, वह अनन्य सुख, ज्ञान व भक्ति को प्राप्त करता है।