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Mobile Phone Ke Nuksan : मोबाइल फोन के नुकसान

इंटरनेट एवं विज्ञान टेक्नोलॉजी ने मनुष्य को विभिन्न पहलुओं पर लाभ व सहायता तो प्रदान की है, परंतु साथ ही विभिन्न प्रकार की हानियाँ, विनाश, शारीरिक एवं मानसिक कष्ट भी पहुँचाया हैं। आधुनिक युग में मोबाइल पर इंटरनेट के आ जाने से उसके जितने लाभ हुए है उतनी ही विकृतियाँ मनुष्य के मस्तिष्क में और समाज में लगातार देखने मिल रही हैं। आजकल बूढ़े हो या जवान, बच्चे हो या महिला हर आयु का व्यक्ति मोबाइल पर गेम खेलना, फिल्म देखना, संगीत सुनना, डांस देखना, सोशल मीडिया चलाना, सेल्फी लेना, व्हाट्सएप प्रयोग करना, इंटरनेट ब्राउजिंग करना, ई लर्निंग, ऑनलाइन शॉपिंग करना, मैच देखना, आदि भिन्न भिन्न प्रकार की गतिविधियों में लिप्त हैं। 

आज इंटरनेट के माध्यम से लोगो के मोबाइल पर गलत जानकारियां शेयर की जाती हैं। जिससे लोगों के मानसिक विचार नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। परिणाम यह है कि सरकार को इंटरनेट को नियंत्रित करने के लिए नियम व एक्ट बनाने पढ रहे हैं।

तो आइए बिंदुओं के रूप में इन्हे जानने की कोशिश करते हैं।

मोबाइल फोन के नुकसान इस प्रकार है –

  • लिमिट से अधिक प्रयोग करने से शारीरिक व मानसिक बीमारियों से ग्रसित होना।
  • हाथ, गर्दन, आँखों, रीड की हड्डी, कमर का बहुत देर तक एक ही अवस्था में बने रहने से हाथो व कमर में दर्द, गर्दन का आगे झुकना, आँखो का लाल व नजर कमजोर होना।
  • सोशल मीडिया के जरिये लोगों के मस्तिष्क व मानसिक विचारधारा को बदलने एवं प्रभावित करने के लिए  गलत, असत्य, भ्रम जानकारी एवं झूठे तथ्य व अयोग्य ज्ञान समाचार लोगों में फैलाया जाता हैं।
  • व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से असत्य घटनाएं व जानकारी पर पोस्ट बनाकर षड्यंत्रकारी तरीके से दूसरे ग्रुप अथवा व्यक्तियों तक पहुँचाया जाता है।
  • विद्या अध्ययन के समय विद्यार्थी मोबाइल पर अधिक ध्यान देते है, जिस कारण उनकी विद्या अध्ययन पूर्ण व आंशिक रूप से बाधित होता है। परिणाम में परीक्षा फल में कम अंक एवं अनु उत्तीर्ण की घटनाएं देखने को मिलती हैं।
  • मोबाइल स्क्रीन एवं बैटरी से निकलने वाली घातक रोशनी की किरणें एवं रेडिशन मनुष्य की आँखो, त्वचा एवं हृदय को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से बीमार अथवा हानि पहुँचाता हैं।
  • फ्रॉड कंपनी एवं व्यक्ति लोगों के फोन पर जाली अथवा अमान्य यू आर एल लिंक भेजते एवं उसे ओपन करने लिए प्रेरित कर इस लिंक को दूसरे लिंक पर रिडारेक्ट कर लोगों की गुप्त जानकारियां – बैंक खाता नंबर, आधार कार्ड, फोन नम्बर, क्रेडिट कार्ड डिटेल, पिन संख्या, डॉक्यूमेंट आदि की जानकारी माँग उनका अमान्य उपयोग कर नुकसान पहुंचाते हैं।
  • मोबाइल के आधिक्य में प्रयोग से व्यक्ति अपने सगे संबंधी व परिवार के सदस्य जनों को साथ बैठकर भोजन, मनोरंजन, क्रीडा, संवाद, हंसी मजाक, आदि विषयो पर समय नहीं देते हैं। मोबाइल के कारण मनुष्य अकेले रहने, किसी से डायरेक्ट बातचीत न करना, केवल पूरा दिन इंटरनेट पर ही बिता देना, क्रोध दिखाना आदि पहलुओं से बुरी तरह प्रभावित हो चुका हैं। परिणाम पारिवारिक सदस्यों व रिश्तों में दूरियां एवं दरार साथ ही नकारात्मक संवाद स्थापित हो रहा है।
  • बहुत सारे विद्यार्थियों, युवाओं द्वारा फोन पर गन्दी विडियो, चित्र व फिल्म देखना तथा अपने मित्रगणो को शेयर करना। परिणाम युवाओं की मानसिक व शारीरिक शक्ति का नुकसान होना।
  • ईयरफोन की तेज आवाज संगीत के कारण कर्ण के पर्दो को नुकसान पहुंचता है। परिणाम कानो में बहरापन, कम सुनाई देना, कान में सीटी की आवाज, कान का दर्द आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

मोबाइल सोशल मीडिया के नुकसान

आज प्रत्येक छात्र एवं छात्राएं एवं अन्य बड़े -छोटे युवा, प्रौढ़ व वृद्ध भी मोबाइल के माध्यम से सोशल मीडिया दिन भर प्रयोग करते हैं। डेस्कटॉप की अपेक्षा मोबाइल पर एप्स, नेट ब्राउज़िंग, गेम्स, चैटिंग, वीडियो रिकॉर्डिंग करना सरल है। ऐसे में लोग दिन रात अपने फोन पर सोशल मीडिया चैनल पर एक्टिव बने रहते हैं। इन सब के दुष्प्रभाव प्रत्यक्ष देखने को मिल रहे हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, टिकटोक आदि सोशल मीडिया माध्यमों ने लोगों के मस्तिष्क को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर अपना गुलाम एवं सेवक बना लिया है। अब लोग न चाहते हुए भी कई घंटे सोशल मीडिया चैनलों पर व्यतीत कर देते हैं। व्यक्ति इनका गुलाम बन चुका है। सोशल मीडिया के नुकसान की चर्चा करें तो वह इस प्रकार है

सोशल मीडिया समय की बर्बादी, मानसिक तनाव व सिरदर्दी का कारण, विचारों में नकारात्मकता, सोच में बदलाव,  रात दिन क्रोध आना, ईर्ष्या भावना का पैदा होना, बदले की भावना, दूसरों को नुकसान पहुंचाने की सोच पैदा होना, सामाजिक व नैतिक मूल्यों का ह्रास होना,राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक क्राइम बढ़ना आदि नकारात्मक पहलू आज सोशल मीडिया के माध्यम से पैदा हो रहे हैं। और इन सब बुराइयों का विस्तार होने की और अधिक संभावनाएं हैं। मोबाइल, कंप्यूटर व इंटरनेट के माध्यम से  साइबर क्राइम आज एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है, इसमें अति शीघ्र सुधार, कंट्रोल, नियमितता, कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

मोबाइल के दुष्परिणाम 

मनुष्य द्वारा निर्मित किसी भी तकनीकी के लाभ होने के साथ उसे नुकसान व साइड इफेक्ट भी होते हैं। कम्प्यूटर व मोबाइल भी इन ही तकनीकी में से एक हैं। अगर मोबाइल के दुष्परिणाम पर गंभीरता से विचार करे तो मोबाइल के कारण मनुष्य मात्र की निन्द्रा चली गई वह देर रात्रि सोना एवं अनिद्रा का शिकार है, मस्तिष्क में अशांति, बेचैनी एवं बुरे विचार को उत्पन्न होना, मोबाइल पर बेकार के चित्र व विडियो देख गुस्सा होना, स्कूल छात्र व युवाओ का गंदी व कामुक विडियो सामग्री देखने एवं अपने विचारों को दूषित करना, छात्रों द्वारा पढ़ाई के नाम पर इंटरनेट  मनोरंजक सामग्री व गेम्स आदि गतिविधियों में अधिक समय खराब करना, छोटे बच्चे शारीरिक खेल कूद ना कर के मोबाइल पर गेम्स खेलने का कारण उनके शारीरिक व मानसिक विकास में अवरोध उत्पन्न होना, लोगों के बैंक खाते से फ्रॉड कर पैसा निकालना आदि मोबाइल के दुष्परिणाम है। ये दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में सभी माता पिता एवं सरकार को अपने अपने स्तर पर उन्हें नियंत्रित करने की आवश्यकता है। 

यदि मोबाइल न होता तो

यह प्रश्न बहुत लोगों के मन में आता है। आज इस प्रश्न पर चर्चा करते हैं। इस विषय पर प्रत्येक व्यक्ति के विचार अलग हो सकते हैं। लेकिन जो समाज व मानव हित में हो वही करना चाहिए। यदि मोबाइल न होता तो –

  • एक स्थान से दूसरे स्थान शहर, गाँव, देश, विदेश हम घर बैठे एक दूसरे से बात नहीं कर पाते हमें चिट्ठी अथवा पत्र लेखन का सहारा लेना पड़ता।
  • विद्यार्थी व युवक अपना समय मोबाइल पर बेकार की चीजों में खर्च ना कर उसे विद्या अध्ययन अथवा किसी अन्य कलात्मक गतिविधि में सदुपयोग करते ।
  • परिवार के सभी लोग एक साथ बैठकर भोजन, बातचीत, संगीत – नृत्य, हंसी मजाक, खेलकूद, अच्छे से उत्सव मनाना आदि क्रियाकलाप करते।
  • युवा व छात्र इंटरनेट पर उपलब्ध गंदी वीडियो, चित्र सामग्री से बच जाते, फलस्वरूप एक अच्छे मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ युवा पीढ़ी का निर्माण होता।
  • आँखो, गर्दन, रीढ़ हड्डी, कमर, कूल्हे आदि की समस्याएं जो लगातार एक खास स्थिति में चलाने के कारण होती हैं इन सभी समस्याओं से बचाव हो जाता।
  • छोटे बालक बालिकाएं मोबाइल गेम्स ना खेलकर खुले आँगन में वृक्षों की शीतल छाया व शुद्ध वायु के बीच खेल कूद करते जिससे उनका शारीरिक स्वास्थ्य हष्ट पुष्ट हो जाता और बहुत सारी बीमारियाँ स्वतः ही गायब हो जाती।
  • मोबाइल पर इंटरनेट एवं सोशल मीडिया, व्हाट्सएप आदि के माध्यम से जो घटिया विचारधारा, झूठे विज्ञापन, भ्रमित सूचनाएँ, साइबर क्राइम, पैसे का फ्रॉड, नकली व जाली व्यापार, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक षड्यंत्र, प्रचार व प्रसार चल रहा है वो सदा के लिए बंद हो जाता। 
  • जनता व समाज को गलत, अमान्य, नकारात्मक, झूठी सूचनाएं फैलाकर बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता था।
  • बिना कारण ही  बार बार व्यक्ति अपनी जेब से मोबाइल निकालकर उसमें झाँकी ताकी, दिखावा नहीं करता।
  • मोबाइल एवं मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन से बहुत सारे शारीरिक रोगों व पशु पक्षियों को होने वाले दुष्प्रभाव से बचाव हो जाता।
  • मोबाइल के कारण देर रात सोना एवं प्रातः देर से उठना एवं देर से नाश्ता एवं भोजन करने से स्वास्थ्य संबंधी रोगों का जन्म होना। मोबाइल ना होने से ऐसा नहीं होता ।
  • कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर, साइकिल, रिक्शा, बस आदि चलाते समय मोबाइल पर बात करने से होने वाले एक्सीडेंट से बचाव एवं सुधार हो जाता।

उपसंहार

देखये कोई भी विद्वान व्यक्ति विज्ञान व तकनीकी का विरोध तो नहीं कर सकता हैं। क्योंकि विज्ञान के द्वारा ही हम सुख सुविधाओं, स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं, रिसर्च एवं खोज आदि विषय व विभागों में उन्नति कर सकते हैं। हमें सभी मनुष्यों, जीवों व प्रकृति की भलाई के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण तो रखना आवश्यक है ही। लेकिन साथ में इस बात का ध्यान भी रखे कि कही विज्ञान के कारण प्रकृति, मनुष्य व अन्य जीवों के को नुकसान तो नहीं पहुंच रहा है। आज हमने मोबाइल के नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा की और इसके बहुत से गलत प्रभाव को हमने जाना। इसके और भी नुकसान है, लेकिन हमने कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर चर्चा की। ऐसा नहीं है कि मोबाइल फोन के लाभ नहीं है इसके बहुत सारे लाभ भी यह हमारे समय, श्रम एवं पैसों की विभिन्न तरह से सहायता करता है। घर बैठे ही हम मोबाइल की सहायता से बहुत सारे कार्य पूर्ण कर लेते हैं। लेकिन किसी भी वस्तु का जरुरत से ज्यादा प्रयोग एवं दुरुपयोग नाश का कारण ही बनती हैं।

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