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Job Vs Business in Hindi कौन सा बिजनेस सबसे अच्छा है

Job Vs Business in Hindi

इस पोस्ट में job vs business की तुलना की गई है, दोनों में कौन बेहतर है यह जानने का प्रयास भी किया गया है।वास्तव में यह व्यक्ति की रुचि पर निर्भर करता है कि उसे जॉब पसंद है या बिजनेस, परंतु यहां यह समझाने का प्रयास किया गया है कि जनता के हितों के साथ देश पर जॉब व बिजनेस का क्या प्रभाव पड़ता है।

जॉब और बिजनेस में भेद करना बहुत ही सरल है। दोनो के अपने फायदे व नुकसान है, हालांकि स्वयं के बिजनेस को जॉब से हमेशा बेहतर माना जाता है क्योंकि बिजनेस हमें स्वतंत्रता और संतुष्टि प्रदान करता है। वही जॉब सरकारी हो या प्राइवेट इसमें मनुष्य दूसरे के अधीन होकर कार्य करता है, उसे प्रतिदिन 8-9 घंटे ऑफिस में बिताने पड़ते है। जबकि बिजनेसमैन आराम से मनचाहे तरीके से अपना काम धंधा करता है, एक व्यापारी जब चाहे जिस समय चाहे काम पर जाता है, इसके अलावा बिजनेस में धन अर्जन जॉब की तुलना में काफी बेहतर है। जॉब करने वाले व्यक्ति को प्रतिमाह फिक्स वेतन मिलता रहता है एवं साथ में प्रतिवर्ष बोनस, इन्सेन्टिव व सैलरी इन्क्रीमेंट सुविधा भी मिलती है। जॉब में कर्मचारी ऑफिस का कार्य निपटा बाकी समय अपने परिवार या अन्य कार्यों को दे सकते है।

जॉब करने के फायदें

जॉब करने करने के फायदे इस प्रकार है-

  • जॉब में महीने की फिक्स सैलरी मिलती है। बारिश हो, सर्दी-गर्मी कैसा भी मौसम हो कर्मचारी का मंथली वेतन समय पर आता रहता है।
  • जॉब में अवकाश की फैसिलिटी मिलती है, त्योहारों पर अवकाश पहले से ही निर्धारित होता है, इसके अलावा माता-पिता को अपने बच्चो की देखभाल के लिए पेरेंट्स लीव जैसी सुविधा भी प्रदान की जाती है।
  • जॉब में भविष्य बचत के लिए फंड इकट्ठा होता रहता है। सरकारी जॉब में तो कर्मचारी व उसके परिवार के सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रखते हुए  पेंशन सुविधा भी प्रदान की जाती है।
  • सरकारी नौकरी एवं बड़ी ब्रांड कम्पनी अपने कर्मचारियों को फैमिली मेडिकल एवं इंश्योरेंस सुविधाएं प्रदान करती है।
  • प्रोफेशनल जॉब- इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, सीए, मार्केटिंग में तो प्रतिमाह लाखो रूपये का सैलरी पैकेज मिलता है। 
  • प्राइवेट एवं सरकार संस्थान विदेशों में अपना बिजनेस मैनेजमेंट एवं सेवाएं प्रदान करने के लिए एम्पलॉयी को विदेशी ब्रांच में टेम्परेरी अथवा परमानेंट समय के लिए कार्य करने का अवसर प्रदान करते है। ऐसे में कर्माचारी को हाई सैलरी व उसके परिवार को सभी फैसिलिटी प्रदान की जाती है।
  • जॉब में प्रतिदिन केवल  8-9 घंटे तक कार्य करना पड़ता है, बहुत सारी आईटी, डिजिटल मार्केटिंग एवं अन्य कम्पनी सप्ताह में केवल 5 दिन कार्य प्रदान करती है अर्थात शनिवार एवं रविवार का अवकाश रहता है।
  • कुछ वर्ष किसी स्किल पर जॉब करने के पश्चात उसका अनुभव प्राप्त कर व्यक्ति स्वयं का स्टार्टअप भी स्थापित कर सकता है।
  • जॉब में वर्क फ्रॉम होम जैसी फैसिलिटी भी मिलती है, कुछ कंपनी परमानेंट वर्क फ्रॉम होम प्रदान करती है वहीं कुछ कम्पनी सप्ताह में 3 दिन वर्क फ्रॉम ऑफिस और बाकी दिन रिमोट वर्क सुविधाएं अपने कर्मचारियों को देती है। जॉब में पार्ट टाइम जैसी सुविधा भी उपलब्ध है।
  • बड़ी कम्पनी अपने कर्मचारियों को प्रतिवर्ष बोनस प्रदान करती है। इसके अलावा अन्य छोटी-बड़ी प्राइवेट कंपनी ज्यादा बिजनेस प्राप्त करने के लिए अपने कर्मचारियों को सैलरी के साथ हाई इन्सेंटिव सुविधा भी प्रदान करती है।
  • यदि किसी सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी के उपरांत अथवा रिटायरमेंट पीरियड से पहले किसी कारणवश मृत्यु हो जाती है, तो उसकी पत्नी या बच्चों को उस मृत कर्मचारी के स्थान पर परमानेंट जॉब पर रख लिया जाता है।

जॉब करने के नुकसान

जॉब करने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसमें व्यक्ति की स्वतंत्रता चली जाती है, जॉब करने वाला व्यक्ति अपने मालिक के हुक्म का गुलाम बन जाता है। जैसा मालिक कहता है उसे वैसा ही करना पड़ता है। इसके अलावा जॉब करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन 8-10 घंटे का लगातार कार्य करना पड़ता हैै। इसलिए वह व्यक्ति तनाव से भरा रहता है।

गांव और छोटे शहर के व्यक्तियों को जॉब करने के लिए अपना घर छोड़कर बड़े शहरों में जॉब करने जाना पड़ता है। जॉब करने वाला व्यक्ति एक लिमिटेड सैलरी प्राप्त करता है। ऑफिस में टारगेट पूरा करने की चिंता के कारण जॉब करने वाला व्यक्ति का जीवन तनाव से भरा रहता है। जॉब में लिमिटिल अवकाश मिलता अगर कोई कर्मचारी छुट्टी लेता है तो उसे उस दिन की सैलरी नहीं मिलती, हालांकि सरकारी कर्मचारी को प्राइवेट कर्मचारी की तुलना अधिक अवकाश व सुविधाएं मिलती है। बहुत सारी कंपनी कम पैसों में अपने कर्मचारियों से बहुत अधिक कार्य लेती है, जिस कारण वह व्यक्ति तनाव ग्रस्त बना रहता है।

बिजनेस करने के फायदे

पुराना समय हो या वर्तमान, स्वयं का बिजनेस सर्वदा उत्तम माना जाता है। प्राचीन समय से ही लोग छोटे-बड़े व्यापार कर अपना जीवन व्यतीत करते थे। व्यापार के कारण लोग स्वतंत्रतापूर्वक अपना जीवन जीते थे, उन्हे किसी के आधीन नौकरी पेशा करने की आवश्यकता नहीं थी। बहुत कम ऐसे व्यक्ति थे जो नौकरी करना पसंद करते थे।

बिजनेस करने के फायदे इस प्रकार है

  • बिजनेस वर्ग के कारण एक्सपोर्ट की डिमांड में वृद्धि होती है, देश का खजाना बढ़ता है और देश आत्मनिर्भर बनता है। बिजनेस फोकस अर्थव्यवस्था महंगाई, बेरोजगारी एवं मंदी के प्रभाव से प्रभावित नहीं होती अथवा बहुत कम प्रभावित होती है।
  • बिजनेस व्यक्ति को आत्मनिर्भरता प्रदान करता है, व्यापारी वर्ग स्वतंत्रता पूर्वक कार्य करते है, उन्हे किसी अन्य की आज्ञा लेने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • अपनी पसंद का बिजनेस करने से व्यक्ति को संतुष्टि अनुभव होती है।
  • अकसर धन कमाने के लिए युवाओं को कठिन परिश्रम करना पड़ता किन्तु, एक बिजनेसमैन अपने बच्चो अथवा रिश्तेदारो को अपने साथ व्यापार में जोड़कर उनके करियर को सुरक्षित कर देता है। इससे बच्चे चिंतामुक्त अनुभव करते है और आनंदपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करते है।
  • बिजनेस करने वाला व्यक्ति दूसरे अन्य लोगो को रोजगार प्रदान करता है।
  • बिजनेस से अपने लोकल क्षेत्र में भी लाभ कमाया जा सकता है, अपना शहर छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती है। 
  • बिजनेसमैन किसी व्यक्ति का अधीन नहीं होता, वह जब चाहे कार्य करता है और जब चाहे छुट्टी पर चला जाता है।
  • बिजनेस में नौकरी से अधिक धनराशि कमाई जाती है। इस सेक्टर में प्रतिदिन अच्छी कमाई होती है, किन्तु त्योहारों, शादी-ब्याह, एवं अन्य मुख्य अवसरों पर बड़े स्तर पर व्यापार हो जाता है।
  • एक बिजनेसमैन अपना कार्य अपने कर्मचारियों को सौंपकर लम्बे समय के लिए अवकाश पर जा सकता है।
  • बिजनेस का एक बड़ा लाभ यह है कि मालिक को प्रतिदिन व्यापार की देखभाल करने की आवश्यकता नहीं वह सुबह-शाम कुछ घंटे के लिए कार्यशैली देखने के लिए जा सकता है, अथवा घर बैठे ही अपने मैनेजर, सुपरवाइजर, या अन्य कर्मचारी से डेली व्यापार का अपडेट लेता रहता है।
  • बिजनेस करने वाले लोग प्रतिदिन धन अर्जन करते है, उन्हें नौकरी की तरह मंथली सैलरी की चिंता नहीं करनी पड़ती है।

बिजनेस करने के नुकसान

बिजनेस करना बहुत सरल नहीं होता है, यह प्रत्येक व्यक्ति के बस की बात नहीं। बिजनेस करने के लिए रिस्क लेने की क्षमता व्यक्ति के अंदर होनी चाहिए, जो व्यक्ति थोड़ा बहुत नुकसान नहीं झेल सकते वे बिजनेस में कभी सफल नहीं हो सकते है। इसलिए बिजनेस शुरू करने से पहले मुनाफे के साथ हानि की संभावनाओं का सामना करने के विषय में भी सोच लेना आवश्यक है।

वैसे तो बिजनेस करने के कोई खास नुकसान नहीं है, लेकिन शुरुआती दिनों में बिजनेस रिस्क से भरा होता है, क्योंकि जब तक बिजनेस सही से स्थापित नहीं हो जाता तब तक उसे सफल मानना उचित नहीं होता है। इसलिए व्यापार शुरू करने के पश्चात 1-2 वर्ष तक बिजनेसमैन को धैर्य के साथ लगातार कार्य करना पड़ता है। इसके अलावा यदि बिजनेस सही लोकेशन पर शुरू न किया जाये तो उसके चलने की संभावना बहुत कम होती है और कुछ दिनो बाद उसे बंद करना पड़ता है।

बिजनेस करना बहुत सरल नहीं होता है, यह प्रत्येक व्यक्ति के बस की बात नहीं। बिजनेस करने के लिए रिस्क लेने की क्षमता व्यक्ति के अंदर होनी चाहिए, जो व्यक्ति थोड़ा बहुत नुकसान नहीं झेल सकते वे बिजनेस में कभी सफल नहीं हो सकते है। इसलिए बिजनेस शुरू करने से पहले मुनाफे के साथ हानि की संभावनाओं का सामना करने के विषय में भी सोच लेना आवश्यक है।

जिन व्यापारियों को ग्राहक से व्यवहार करना नहीं आता, उनका बिजनेस बहुत प्रगति नहीं करता है क्योंकि बिजनेसमैन के लिए उसके ग्राहक की संतुष्टि पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। अगर ग्राहक दुकानदार से खुश है तो वह उसका परमानेंट कस्टमर बन जाता है एवं अन्य व्यक्तियों को भी उस दुकान से खरीदारी के लिए रेफर करता है।

बिजनेस में अगर कस्टमर को वस्तुओ एवं सेवाओं का उचित मूल्य नहीं दिया जाये अथवा सही गुणवत्ता प्रदान नहीं की जाए तो वह बिजनेस ज्यादा दीर्घ समय तक नहीं चल सकता है। या यूँ कहिये कि ऐसे बिजनेस बहुत ज्यादा तरक्की नहीं करते है।

जॉब सेक्टर का देश की जीडीपी पर क्या प्रभाव पड़ता है?

देखिए, किसी देश का जॉब सेक्टर उस देश की अर्थव्यवस्था एवं जीडीपी को सीधे रूप से प्रभावित करता है। यदि देश की सरकार जॉब या नौकरी अवसर पैदा करने की नीति पर अधिक फोकस करते है, और सेल्फ रोजगार को कम बढ़ावा देती है तो उस देश में Inflation, Recession, Deflation की स्थिति आने से देश की अर्थव्यवस्था नकारात्मक अथवा सकारात्मक रूप से प्रभावित होती रहती है। क्योंकि महंगाई बढ़ने की स्थिति में नौकरी जाने का खतरा रहता एवं मंदी में कम वेतन पर कार्य लिया जाता है

बिजनेस सेक्टर का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होता है?

बिजनेस सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था के लिए सर्वोत्तम व्यवस्था है, जिस देश की जनता जितना अधिक छोटे-मोटे व्यवसाय उत्पन्न कर अपनी रोजी रोटी चलाती है, उस देश में महंगाई(Inflation) एवं मंदी (Recession) की स्थितियां ना के बराबर उत्पन्न होती, जिस देश की सरकार अपनी जीडीपी एवं प्रति व्यक्ति आय को बिजनेस पर अधिक केन्द्रित करती है उस देश के लोग  विश्व अर्थव्यवस्था में कमी आने पर पर सतत गति से लाभ प्राप्त करते रहते है, इसलिए बिजनेस फोकस अर्थव्यवस्था बेरोजगारी, महंगाई एवं मंदी पर लगाम लगाने में सक्षम है।

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