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Company Kya Hoti Hai : कंपनी क्या होती है

Company Kya Hoti Hai

कम्पनी शब्द Com व Panis से मिलकर बना है, इसका अर्थ होता है साथ बैठकर कर भोजन करना। पुराने समय में जब मर्चेन क्साल के व्यक्ति अपने बिजनेस से दौरान साथ बैठकर भोजन करते एवं व्यवसाय संबंधित चर्चा करते थे। 

कम्पनी की परिभाषा

कम्पनी एक्ट 2013 के अनुसार

इस एक्ट के सेक्शन. 2(20) के अनुसार कंपनी एक कंपनी है जो कि कम्पनी एक्ट 2013 अथवा पिछने किसी अन्य कम्पनी लॉ के अधीन बनी और पंजीकृत की गई है।

कम्पनी ऐसे लोगों का एक एसोसिएशन है जो धन योगदान करके इसे एक Common उद्देश्य पूर्ति के लिए इन्वेस्ट करते एवं साथ मिलकर कार्य करते है।

कानून की नजर में कंपनी एक लीगल व्यक्ति होती है।

कम्पनी को कानून द्वारा एक लीगल व्यक्ति का दर्जा दिया गया है। अतः कम्पनी एक लीगल पर्सन होती है. इसका अस्तित्व अपने मेंबर्स के बिना भी बना रहता है। इसलिए यह कोर्ट में किसी पर मुकदमा भी कर सकती है और इस पर भी मुकदमा किया जा सकता है।

कम्पनी निर्माण प्रक्रिया

कम्पनी निर्माण साधारणतः 3 चरणों में किया जाता है।

  1. कंपनी प्रमोशन
  2. कम्पनी रजिस्ट्रेशन
  3. कम्पनी बिजनेस आरम्भ(Business Commencement)

कंपनी के प्रकार

कम्पनी तीन प्रकार की होती है

एक व्यक्ति की कम्पनी(One Person Company)

इस कंपनी में मेंबर की संख्या केवल एक होती है, और यह एक प्राइवेट कंपनी में गिनी जाती है।

प्राइवेट कम्पनी

प्राइवेट कंपनी वह कंपनी है जिसकी न्यूनतम पेडअप कैपिटल एक लाख रुपये हो तथा शेयर्स के ट्रांसफर अधिकार को प्रतिबंधित करती हो। इसके अधिकतम मेंबर्स की संख्या 200 से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि दो या दो से अधिक मेंबर मिलकर कंपनी के शेयर खरीदते है तो इस स्थिति में उन मेंबर्स को joint members मानकर एक मेंबर गिना जाता है। प्राइवेट कंपनी की सिक्योरिटी सब्सक्रिप्शन का इनविटेशन पब्लिक के लिए वर्जित होता है।

पब्लिक कम्पनी

यह वह कम्पनी होती है जो प्राइवेट न हो तथा इसकी न्यूनतम पेडअप कैपिटल 5 लाख रुपये हो। इसके न्यूनतम मेंबर्स की संख्या 7 से कम नहीं होनी चाहिए व ये सभी मेंबर्स कम्पनी एक्ट 2013 के अंतर्गत रजिस्टर्ड होने चाहिए।

मल्टीनेशनल कंपनी(MNC)

यह व कम्पनी होती है जो अपने प्रोडक्ट एवं सर्विसेज को एक से अधिक देशों में प्रदान करती है। इसलिए इन्हे इंटरनेशनल कंपनी भी कहा जाता है। इन कंपनी का हेड ऑफिस इनके मूल देश में होता है तथा उसकी ब्रांच विभिन्न देशों में हो सकती है।

सरकारी कंपनी

जिस कंपनी में न्यूनतम 51 प्रतिशत शेयर कैपिटल की हिस्सेदारी केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार या केंद्र व राज्य सरकार द्वारा की जाती है वह सरकारी कंपनी कहलाती है।

इन्वेस्टमेंट कंपनी

जिन कंपनियों का मूल बिजनेस शेयर, डिबेंचर, स्टॉक व अन्य सिक्योरिटी का अधिग्रहण करना होता है वे इन्वेस्टमेंट कंपनी कहलाती है।

FERA कंपनी

ये वे कंपनी हे, जो कंपनी भारत में ऑपरेट हो रही है तथा फॉरेन एक्सचेंज रेग्यूलेशन एक्ट 1973 के अंतर्गत आती है। इनका फॉरेन कैपिटल इंटेरेस्ट या तो शून्य होता है या 40 प्रतिशत से कम। भारत में फॉरेन इन्कॉर्पोरेटेड कंपनी केवल बिजनेस ऑपरेशन के लिए रजिस्टर्ड होती है।

विदेशी कंपनी

भारत में विदेशी कंपनी वह कंपनी है जिसका व्यापार करने की जगह भारत है जो कि कंपनी स्वयं या एजेंट द्वारा फिजीकली अथवा इलेक्ट्रॉनिक रूप से संचालित करती हो।

चैरिटेबल कंपनी

इन कंपनी का उद्देश्य चैरिटी करना होता है। यह अपने मुनाफे के पैसों और अन्य कमाई को चैरिटी था उसे प्रमोट करने में लगाती है।
यह भी पढ़े- Job Vs Business दोनो में कौन बेहतर

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