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Advocate Kaise Bane : वकील कैसे बने पूरी जानकारी

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वकील(Advocate) न्यायालय का अधिकारी तथा न्यायपालिका का हिस्सा होता है। वकील को अधिवक्ता के नाम से भी जाना जाता है, एक वकील का कार्य न्यायाधीश को मुकदमे की जांच करने में सहायता प्रदान करना है। वकील अदालत में सबूत व गवाह पेश करता है ताकि गुन्हेगार को सजा एवं बेगुनाह को उचित न्याय मिल सके। एक अच्छे वकील अपने ज्ञान के आधार पर पहचाना जाता है.

वकील व एडवोकेट का अर्थ एवं कार्य

वकील न्यायपालिका का साझीदार होता है।

Advocate के अन्य नाम वकील, अधिवक्ता भी है, यह कानून का विशेष जानकार एवं एक्सपर्ट होता है। वकील वकालत का एक ऐसा अधिकृत व्यक्ति होता है जो न्यायालय में अपने क्लाइंट के पक्ष में मुकदमे लडता हुआ क्लाइंट का बचाव करता है। अधिवक्ता के पास कानून की डिग्री होती है एवं उसे लीगल प्रैक्टिस करने के लिए बार काउंसिल से नामांकन सर्टिफिकेट प्राप्त होता है। लीगल प्रोफेशन निजी लाभ के लिए नहीं होता है अपितु, जनता की भलाई के लिए बनाई गई व्यवस्था है। इसलिए वकील न्याय प्रशासन प्रणाली में एक सहभागी एवं सहयोगी की भूमिका निभाता है।

वकील कोर्ट का अधिकारी एवं बार काउंसिल का जेंटलमैन होता है

न्यायपालिका व्यवस्था में एडवोकेट न्यायालय का एक अधिकारी(Officer) एवं बार काउंसिल का जेंटलमैन होता है, यह केस से संबंधित दस्तावेज इकट्ठा करते है. ताकि कोर्ट जनता के हितों से संबंधी सही न्याय निर्णय प्रदान कर सकें।  कोर्ट एडवोकेट द्वारा प्रस्तुत किये गये कथन, तर्क, एवं सबूतो के आधार पर कार्य करता है। एक वकील का कर्तव्य है कि व उचित न्याय प्रशासन व्यवस्था बनाने में न्यायालय की सहायता करें। वकील को ईमानदार होना आवश्यक है, उसे तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए अर्थात सबूतो व जानकारी को शुद्ध रूप में कोर्ट के समक्ष पेश करना चाहिए। समाज में अच्छे अधिवक्ता व्यक्तित्व से पब्लिक को न्याय प्रणाली पर विश्वास बढ़ता है एवं प्रेरणा भी मिलती है। 

केवल वकील ही कानून प्रैक्टिस करने के हकदार है

अधिवक्ता एक्ट की धारा 29 के प्रावधानों व नियमों के अनुसार वकालत पेशे का अभ्यास करने का अधिकार केवल एडवोकेट वर्ग को होगा। 

धारा 33 के अनुसार: अधिवक्ता एक्ट अथवा अन्य कानून द्वारा प्रदान किये गये कुछ समय के पश्चात, किसी भी व्यक्ति को कोर्ट/अथॉरिटी/व्यक्ति के सामने प्रैक्टिस का अधिकार नहीं होगा, जब तक वह इस अधिनियम(Act) के अंतर्गत पंजीकृत न हो जाये। 

वकील नामांकन का प्रमाण पत्र(enrollment certificate of advocate)

Advocate Act 1961, S.22(1) के अनुसार ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को स्टेट बार काउंसिल द्वारा नामांकन का सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जिसका नाम स्टेट बार काउंसिल द्वारा बनाये गये अधिवक्ता की सूची में शामिल हो।

वकील आवेदन के लिए आवश्यक योग्यता(Eligibility)

भारत में वकील(Advocate): बनने के लिए न्यूनतम शिक्षा पैमाना भारत में कानून द्वारा स्थापित किसी भी विश्वविद्यालय से Law में Bachelor Degree (LLB) सफलतापूर्वक पास करना अनिवार्य है; प्राइवेट एडवोकेट बनने के लिए कुछ माह अथवा वर्षों तक किसी अनुभवी सीनियर लॉयर की के पास वकालत के दांव पेंच सीखने पड़ते है। 

वहीं सरकारी वकील बनने के लिए APO(Assistant Prosecution Officer) की परीक्षा पास करनी पड़ेगी, हालांकि न्यूनतम 10 वर्ष की प्रैक्टिस एवं कानून की अच्छी जानकारी के आधार पर भी सरकार न्यायालय में सरकारी एडवोकेट नियुक्त करती है।

LLB डिग्री पास करने के पश्चात, व्यक्ति को स्टेट बार काउंसिल में वकालत लाइसेंस प्राप्त करने के लिए रजिस्ट्रेशन के माध्यम से आवेदन करना पड़ता है। एक व्यक्ति एक समय पर एक ही राज्य से लाइसेंस का आवेदन कर सकता है, परंतु अगर व्यक्ति Bar Council of India का एग्जाम उत्तीर्ण कर ले तो वह एडवोकेट पूरे भारत के किसी भी उच्च न्यायालय एवं निचली अदालत में कहीं भी वकालत करने के योग्य हो जाता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने के लिए व्यक्ति को एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है।

Advocate Act 1961, Section 24A(1) के अनुसार- यदि कोई व्यक्ति state roll में advocate होना चाहता है, तो उसे निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होगा :

  1. वह व्यक्ति भारत का नागरिक होना चाहिए।
  2. उसके पास Law में डिग्री होना आवश्यक है।
  3. उसने 21 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली हो।
  4. वह स्टेट बार काउंसिल द्वारा बनाए गए अन्य सभी नियमों को संतुष्ट करता हो।
  5. उस व्यक्ति ने enrollment की फीस एवं स्टांप ड्यूटी चार्ज स्टेट बार काउंसिल में जमा कर दी हो।

Advocate नामांकन के लिए अयोग्यता(Disqualification for enrolment)

Advocate act 1961, S.24 के अनुसार स्टेट बार काउंसिल में ऐसे किसी भी व्यक्ति का नामांकन स्वीकार नहीं किया जाएगा जो-

  • यदि वह व्यक्ति नैतिक अधमता(Moral Turpitude) के अपराध में दोषी सिद्ध हो।
  • यदि उसे अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (1955 का 22) के अंतर्गत दोषी ठहराया गया हो।
  • यदि उसे राज्य सरकार में रोजगार या ऑफिस से नैतिक अधमता के कारण हटा दिया गया हो।

वकील का प्रेक्टिस करने का अधिकार

अधिवक्ता नियम 30 के अनुसार, वह प्रत्येक एडवोकेट जिसका नाम स्टेट बार काउंसिल में पंजीकृत है, ऐसा व्यक्ति उन सभी राज्य क्षेत्रों में अभ्यास के लिए अधिकृत होंगे जिन पर यह एक्ट लागू होता है। 

वकील के प्रकार 

Advocate Act S.16

  • (1) के अनुसार अधिवक्ता के दो वर्ग- 1.सीनियर वकील एवं 2. अन्य वकील होंगे।
  • (2)अगर सुप्रीम कोर्ट अथवा हाई कोर्ट किसी व्यक्ति को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में योग्य पाते है, तो उस व्यक्ति की सहमति से कोर्ट उसे सीनियर वकील के रूप में नामित कर सकती है। 
  • (3) वरिष्ट अधिवक्ता अपनी प्रेक्टिस के संबन्ध में बार काउंसिल द्वारा बनाये गये प्रावधान या प्रतिबंधों के अधीन होंगे।
  • (3) सुप्रीम कोर्ट का वकील जो अपने appointed दिन के ठीक पहले उस न्यायालय का एक सीनियर वकील था, अब इस धारा के उद्देश्य के लिए एक वरिष्ठ अधिवक्ता समझा जायेगा। 

नये अभ्यर्थी LLB डिग्री कैसे प्राप्त कर सकते है?

वकील बनने के लिए सबसे पहला स्टेप किसी प्राइवेट अथवा सरकारी कॉलेज में LLB Course में प्रवेश लेना पड़ता है। एल एल बी करने के लिए 2 प्रकार से दाखिला लिया जाता है, पहला तो 12 वी कक्षा के आधार पर BA-LLB, B.Com LLB, BBA LLB, BSc LLB आदि Integrated कोर्स के आधार पर एवं दूसरा स्नातक(ग्रेजुएशन) पास करने के पश्चात इस कोर्स में प्रवेश मिल जाता है। LLB कोर्स की सुविधा सरकारी अथवा निजी संस्थान दोनों में उपलब्ध है।

LLB परीक्षा पूर्ण करने के पश्चात नौकरी के कौन से विकल्प उपलब्ध है?

एल एल बी कोर्स पूर्ण होने के पश्चात विद्यार्थी के लिए- लीगल एनालिस्ट, ट्रेनी सॉलिसिटर, सहायक प्रोफेसर, लीगल रिसर्च, सरकारी जज, लीगल आउटसोर्सिंग सर्विस, फ्रीलांसिंग वर्क के विकल्प उपलब्ध है। 

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